नई दिल्ली: मजदूर संगठन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) ने सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के कर्मचारियों को ट्रेड यूनियन अधिकार दिए जाने की मांग की। AITUC का कहना है कि अंतरिक्ष विभाग और ISRO के अंतर्गत आने वाले विभिन्न संस्थान मूल रूप से “उद्योग” की श्रेणी में आते हैं और इस आधार पर कर्मचारियों को यूनियन बनाने का संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए।
AITUC ने एक बयान में कहा कि 21 फरवरी 1978 को दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले (बेंगलुरु वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड मामले) के अनुसार, ISRO और उससे जुड़े संस्थान उद्योग की परिभाषा में आते हैं। इसके बावजूद भारत सरकार ने ISRO को उद्योग की परिभाषा से बाहर कर रखा है, जिसके कारण वहां के कर्मचारियों को ट्रेड यूनियन अधिकारों से वंचित किया गया है।
संगठन ने आरोप लगाया कि ISRO कर्मचारियों को यूनियन बनाने की अनुमति देने के बजाय उन्हें केवल ‘सर्विस एसोसिएशन’ बनाने के लिए कहा गया है। इन एसोसिएशनों को भी केंद्रीय सिविल सेवा (मान्यता प्राप्त सेवा संघ) नियम, 1993 के तहत मान्यता लेने के लिए बाध्य किया गया है। AITUC का कहना है कि यह व्यवस्था कर्मचारियों के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है।
AITUC ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अंतरिक्ष विभाग द्वारा जारी उन आदेशों को तुरंत वापस लिया जाए, जिनके तहत ISRO कर्मचारियों को यूनियन या एसोसिएशन बनाने के अधिकार से वंचित किया गया है। इसके साथ ही संगठन ने औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 को भी वापस लेने की मांग की है। AITUC का आरोप है कि इस कानून में ऐसे प्रावधान हैं, जो भारतीय संविधान, सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों और श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं।
AITUC ने स्पष्ट किया कि वह रक्षा अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है और उनके संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई में उनका समर्थन करता रहेगा। संगठन का कहना है कि देश के रणनीतिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।