असम दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी आक्रामक रवैया अपनाया था। वह SIR और घुसपैठ के मुद्दों पर एक के बाद एक लगातार विपक्ष पर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस को 'एंटी-नेशनल' कहकर भी कटाक्ष किया है। रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी पर पलटवार किया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीधे कहा कि आप अपनी गलतियों की जिम्मेदारी दूसरों पर डाल रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार घुसपैठ रोकने में नाकाम रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के दौरे पर असम पहुंचे। डिब्रूगढ़ में ₹10,601 करोड़ की उर्वरक फैक्ट्री का उद्घाटन करने के बाद एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर 'देश विरोधी गतिविधियों' में शामिल होने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाजन के समय अंग्रेजों और मुस्लिम लीग ने असम को पूर्वी पाकिस्तान को सौंपने का प्रस्ताव दिया था। कांग्रेस भी उस साजिश का हिस्सा थी। अब वे घुसपैठियों को ला रहे हैं और उन्हें असम के जंगलों में बसाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने SIR के विरोधियों पर देशद्रोही होने का आरोप लगाते हुए तीखा वार किया।
इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने नरेंद्र मोदी के सभी आरोपों को खारिज करते हुए केंद्र सरकार की नाकामी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए दूसरों पर इल्ज़ाम लगा रही है। खड़गे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा असम और केंद्र दोनों जगह सरकार में है। डबल इंजन की सरकार चल रही है।
अगर भाजपा अब घुसपैठियों को रोकने में नाकाम रही तो इसके लिए विपक्ष कैसे जिम्मेदार हो सकता है? खड़गे ने दावा किया कि कांग्रेस कभी आतंकवादियों और घुसपैठियों का समर्थन नहीं करती। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब भी भाजपा विफल होती है तो वे इसका दोष कांग्रेस पर डालते हैं। यह उनकी पुरानी आदत है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं ऐसे बयानों की कड़ी निंदा करता हूं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिकम टैगोर ने भी पीएम मोदी के बयान को गलत और राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि किसी ने भी असम को पूर्वी पाकिस्तान को सौंपने का प्रस्ताव नहीं दिया था। असम हिंदू बहुल राज्य था। एकमात्र विवाद मुस्लिम बहुल सिलहट को लेकर था।
गौरतलब है कि जुलाई 1947 में ब्रिटिश शासन के तहत सिलहट में एक जनमत संग्रह हुआ था। ज्यादातर लोगों ने पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होने के पक्ष में मत दिया था। हालांकि टैगोर का दावा है यह कांग्रेस का कोई फैसला नहीं है। यह ऐतिहासिक रूप से सच है।