बांग्लादेश की स्थापना के लिए 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मुक्ति वाहिनी के प्रमुख नेता, एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) ए. के. खांडकर का निधन हो गया। शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली। निधन के समय उनकी उम्र 96 वर्ष थी। वे लंबे समय से वृद्धावस्था संबंधित बीमारियों से पीड़ित थे। ए. के. खांडकर ने बांग्लादेश वायु सेना के प्रमुख के दायित्व भी संभाले थे।
बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय के एक योद्धा होने के अलावा उन्होंने कई अन्य जिम्मेदारियां भी निभाई। जियाउर रहमान के समय उन्होंने राजदूत के रूप में कार्य किया। एच. एम. एर्शाद के शासनकाल में उन्होंने मंत्री पद संभाला। 2008 में उन्होंने अवामी लीग की टिकट पर पाबना से बांग्लादेश की संसद सदस्य के रूप में चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार में 5 साल तक मंत्री के रूप में कार्य किया।
तत्कालीन अविभाजित पाकिस्तान की वायु सेना में उन्होंने 1951 में प्रवेश किया और 1969 तक पश्चिमी पाकिस्तान के विभिन्न स्थानों पर सेवा की। 1969 से वे ढाका में विंग कमांडर के रूप में कार्यरत रहे। इसके बाद 1971 में उन्होंने यह पद छोड़ दिया और मुक्ति सेना में शामिल हो गए। इसके बाद वे ताजुद्दीन अहमद और एम. ए. जी. उस्मानी के संपर्क में आए। तभी से वे मुक्ति सेना के उप प्रमुख बनकर युद्ध में शामिल रहे। स्वतंत्र बांग्लादेश की वायु सेना के गठन में भी उनका योगदान रहा।
कई रिपोर्टों के अनुसार 16 दिसंबर 1971 को जब पाकिस्तान की सेना ने आत्मसमर्पण किया, उस समय ए. के. खांडकर मुक्ति सेना के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित थे। मुक्ति संग्राम में उनके योगदान के लिए 2011 में बांग्लादेश सरकार ने उन्हें स्वतंत्रता पदक से सम्मानित किया। इसके पहले, बांग्लादेश के निर्माण के बाद उनके वीरता को पहचानते हुए उन्हें 'बीर उत्तम' की उपाधि दी गई थी।