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राजस्थान के बीडीएस दाखिले में गड़बड़ी: सुप्रीम कोर्ट ने 10 डेंटल कॉलेजों पर लगाया 100 करोड़ का जुर्माना

अदालत ने 18 दिसंबर के अपने फैसले में 2016–17 सत्र में नीट प्रतिशत में छूट के बाद दाखिला पाने वाले छात्रों को राहत देते हुए उनके बीडीएस डिग्री को नियमित किया।

By राखी मल्लिक

Dec 20, 2025 22:55 IST

जयपुर: एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 10 निजी डेंटल कॉलेजों पर बीडीएस में प्रवेश नियमों में उल्लंघन के मामले में प्रत्येक पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि इन कॉलेजों द्वारा की गई खुली गैरकानूनी कार्रवाई और नियमों का जानबूझकर उल्लंघन कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की मांग करता है।

न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति जे.के. महेश्वरी की पीठ ने कहा कि इस मामले में चिकित्सा शिक्षा के मानकों को कमजोर किया गया है और कॉलेजों के साथ-साथ राज्य सरकार की भूमिका पर भी कड़ी नाराजगी जताई। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने राजस्थान सरकार को भी निर्देश दिया कि वह 2016–17 शैक्षणिक सत्र में बीडीएस दाखिले के दौरान कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के लिए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (RSLSA) में 10 लाख रुपये जमा करे।

सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त आदेश तब आया जब उसने पाया कि राजस्थान सरकार ने बिना अनुमति के नीट (NEET) परीक्षा के न्यूनतम प्रतिशत में पहले 10 प्रतिशत और फिर अतिरिक्त 5 प्रतिशत की कटौती कर दी थी जो कि डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI) द्वारा तय मानकों के खिलाफ थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश जारी किया। इन कटौतियों के कारण ऐसे छात्रों को भी डेंटल कॉलेजों में दाखिला मिल गया, जो न्यूनतम पात्रतामानदंडों को पूरा नहीं करते थे। इसके अलावा, संबंधित कॉलेजों ने 10+5 प्रतिशत की छूट से भी अधिक छूट देकर छात्रों को प्रवेश दिया।

अदालत ने 18 दिसंबर के अपने फैसले में 2016–17 सत्र में नीट प्रतिशत में छूट के बाद दाखिला पाने वाले छात्रों को राहत देते हुए उनके बीडीएस डिग्री को नियमित किया। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए किया गया।

मुख्य याचिका में 59 छात्रों की ओर से पेश हुए वकील ऋषभ संचेती ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने राहत पाने वाले सभी छात्रों को राजस्थान हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें उन्हें यह वचन देना होगा कि वे राज्य में आपदा, बीमारी फैलने या अन्य आपात स्थितियों में जरूरत पड़ने पर नि:शुल्क सेवाएं देंगे।

अदालत ने टिप्पणी की हमें इस बात पर गहरा असंतोष व्यक्त करना पड़ रहा है कि इस मामले में चिकित्सा शिक्षा के मानकों को किस तरह कमजोर किया गया। कॉलेजों ने 2007 के नियमों का खुला और जानबूझकर उल्लंघन किया है, जिसके लिए सख्त दंडात्मक कार्रवाई जरूरी है।

ऋषभ संचेती ने कहा कि कॉलेजों पर लगाया गया भारी जुर्माना न केवल सजा है, बल्कि भविष्य में दाखिला प्रक्रिया में कानून और नियमों के बेहतर पालन की दिशा में एक कदम भी है।सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जुर्माने की राशि आठ सप्ताह के भीतर RSLSA में जमा कराई जाए। इस राशि का उपयोग राज्य की सामाजिक संस्थाओं के कल्याण के लिए किया जाएगा, जिनमें वन स्टॉप सेंटर, नारी निकेतन, वृद्धाश्रम और बाल देखभाल संस्थान शामिल हैं।

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