नयी दिल्लीः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा नियुक्ति पत्र सौंपते समय एक महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने से जुड़ा मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पटना में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम का वीडियो सामने आने के बाद विपक्षी दलों में आक्रोश फैल गया है और कई नेताओं ने इसे महिला की गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। विपक्ष लगातार कानूनी कार्रवाई व सार्वजनिक माफी की मांग पर अड़ा हुआ है।
पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने इस घटना को लेकर श्रीनगर के कोठीबाग थाने में नीतीश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि इस कृत्य से विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं में गहरा आघात और असुरक्षा की भावना पैदा हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक महिला नहीं, बल्कि सभी भारतीय महिलाओं की पहचान, स्वायत्तता और सम्मान पर हमला है। इल्तिजा मुफ्ती ने यह भी कहा कि कार्यक्रम में मौजूद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समेत कुछ लोगों की हंसी ने मामले को और गंभीर बना दिया। इस मामले में पहले ही लखनऊ के कैसरबाग थाने में सपा नेता सुमैया राणा द्वारा नीतीश कुमार और यूपी के मंत्री संजय निषाद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है।
समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह अफसोसजनक है कि देशभर में इसके खिलाफ वैसा विरोध नहीं हो रहा, जैसा होना चाहिए था। उन्होंने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि मुख्यमंत्री ने अब तक सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी।
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने हिजाब और बुर्के को महिलाओं के सम्मान और गरिमा का प्रतीक बताते हुए मुख्यमंत्री से बिना शर्त माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता और अनुच्छेद 19 व्यक्तिगत पसंद की आज़ादी देता है, ऐसे में किसी को भी महिला का घूंघट हटाने का अधिकार नहीं है।
समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने भी इस घटना को अपमानजनक करार दिया और कहा कि योग्यता के आधार पर आगे बढ़ी महिला को सार्वजनिक रूप से नीचा दिखाया गया। उनके अनुसार, उम्र या ‘अभिभावक’ होने का तर्क इस तरह के व्यवहार को सही ठहराने का आधार नहीं बन सकता।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माजी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जाति, धर्म या उम्र से परे हर महिला के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने एक अभिभावक की तरह व्यवहार किया और नियुक्ति पत्र लेते समय चेहरे का दिखाई देना सामान्य प्रक्रिया है। उनके इस बयान को लेकर भी विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है।