अभिनेता शिवाजी ने महिलाओं के पहनावे पर की गई अपनी टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बाद सफाई देते हुए कहा है कि उनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था बल्कि एक व्यापक सामाजिक चिंता को सामने रखना था। यह विवाद उनकी आगामी फिल्म ‘ढंडोरा’ के प्री-रिलीज कार्यक्रम के दौरान दिए गए बयान के बाद सामने आया था।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए शिवाजी ने कहा कि अपने भाषण में वह यह कहना चाह रहे थे कि सार्वजनिक स्थानों पर जाते समय महिलाओं को उचित ढंग से कपड़े पहनने चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि भाषण के दौरान उनसे दो ऐसे शब्दों का प्रयोग हो गया जो संसदीय भाषा के अनुरूप नहीं थे, जिसके लिए उन्होंने बाद में माफी मांग ली।
शिवाजी ने कहा कि ढंडोरा के प्री-रिलीज इवेंट में मैंने कहा था कि खराब कपड़े न पहनें, अच्छे कपड़े पहनें। अगर आप सार्वजनिक स्थान पर जा रही हैं तो अच्छे कपड़ों में जाएं। उसी दौरान मैंने दो ऐसे शब्द कह दिए जो ठीक नहीं थे और उसके लिए मैंने माफी मांगी। लेकिन जो बात मैंने कही, उस पर मैं अब भी कायम हूं। जिन महिलाओं को इससे ठेस पहुंची है, उनसे मैं दिल से माफी मांगता हूं। अपने बयान के पीछे की वजह बताते हुए अभिनेता ने हैदराबाद के लुलु मॉल में एक सप्ताह पहले हुई एक घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक फिल्म प्रचार कार्यक्रम के दौरान अभिनेत्री निधि अग्रवाल को भारी भीड़ ने घेर लिया था, जिससे वह बेहद असहज और परेशान दिखाई दे रही थीं।
शिवाजी के अनुसार निधि अग्रवाल एक कार्यक्रम में गई थीं। वहां बहुत बड़ी भीड़ थी और लोग धक्का-मुक्की करने लगे। वह स्लीवलेस ड्रेस में थीं, बहुत अच्छी लड़की हैं, लेकिन भीड़ ने उन्हें घेर लिया। मैंने उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर देखा। तभी मैंने सोचा कि इस मुद्दे पर बात करना जरूरी है। इससे पहले शिवाजी ने एक सार्वजनिक माफी भी जारी की थी, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उनके शब्द अनुचित थे, भले ही उनका इरादा सही था। हालांकि, इस माफी से संतुष्ट न होते हुए तेलंगाना राज्य महिला आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है और शिवाजी को 27 दिसंबर 2025 को पूछताछ के लिए तलब किया है। इस पूरे विवाद ने सोशल मीडिया पर भी व्यापक बहस छेड़ दी है।