नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसका शीर्षक “सबका बीमा, सबकी रक्षा” है। इस विधेयक का उद्देश्य पॉलिसीधारकों की सुरक्षा को मजबूत करना, बीमा की पहुंच बढ़ाना और देश में बीमा क्षेत्र की वृद्धि को तेज करना है।
यह विधेयक बीमा अधिनियम, 1938, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अधिनियम, 1956 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) अधिनियम, 1999 सहित प्रमुख कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव करता है। ये संशोधन सरकार के दीर्घकालिक लक्ष्य ‘2047 तक सबके लिए बीमा’ और बीमा सेक्टर में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बेहतर बनाने की दिशा में हैं।
विधेयक का एक बड़ा प्रावधान भारतीय बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना है। सरकार का कहना है कि इससे स्थिर और दीर्घकालिक विदेशी पूंजी आएगी, तकनीक का हस्तांतरण होगा और देश में बीमा पहुंच तथा सामाजिक सुरक्षा कवरेज में इज़ाफा होगा।
विधेयक में बीमा क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और प्रभावी उपयोग के लिए कानूनी ढांचा भी दिया गया है, जिसमें पॉलिसीधारकों के डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता पर विशेष जोर है। इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और साइबर सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। व्यवसाय को आसान बनाने और निर्बाध ग्राहक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए बीमा मध्यस्थों के लिए वन-टाइम रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, बीमा कंपनियों में शेयर ट्रांसफर के लिए IRDAI की मंजूरी की सीमा 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी करने का भी प्रस्ताव है।
उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने के लिए विधेयक में पॉलिसीधारक शिक्षा और संरक्षण कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है। यह कोष बीमा जागरूकता बढ़ाने और पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा पर केंद्रित होगा। साथ ही, IRDAI को गलत तरीके से अर्जित लाभ की वसूली (डिस्गॉर्जमेंट) का अधिकार देने का प्रस्ताव है, जिससे वह बीमाकर्ताओं और मध्यस्थों द्वारा कमाए गए अवैध या अनुचित लाभ को वापस ले सकेगा।
री-इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए विदेशी री-इंश्योरर्स के लिए नेट ओन्ड फंड की शर्त को 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। इससे वैश्विक री-इंश्योरर्स की एंट्री आसान होगी और घरेलू री-इंश्योरेंस क्षमता बढ़ेगी। विधेयक में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को भी अधिक परिचालन स्वायत्तता देने का प्रावधान है, जिससे वह जोनल कार्यालय स्थापित कर सकेगा और अपने विदेशी संचालन को संबंधित देशों के कानूनों के अनुरूप ढाल सकेगा। नियामकीय शासन को बेहतर बनाने के लिए IRDAI अधिनियम के तहत नियम बनाने हेतु स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लाने का प्रस्ताव है। साथ ही, दंड लगाने के लिए एक पारदर्शी और तार्किक ढांचा तय करने की बात कही गई है, ताकि निष्पक्ष तरीके से जुर्माना लगाया जा सके। नियामकीय शासन को बेहतर बनाने के लिए IRDAI अधिनियम के तहत नियम बनाने हेतु स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लाने का प्रस्ताव है। साथ ही, दंड लगाने के लिए एक पारदर्शी और तार्किक ढांचा तय करने की बात कही गई है, ताकि निष्पक्ष तरीके से जुर्माना लगाया जा सके।
नियामकीय शासन को बेहतर बनाने के लिए IRDAI अधिनियम के तहत नियम बनाने हेतु स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लाने का प्रस्ताव है। साथ ही, दंड लगाने के लिए एक पारदर्शी और तार्किक ढांचा तय करने की बात कही गई है, ताकि निष्पक्ष तरीके से जुर्माना लगाया जा सके। सरकार का मानना है कि यह विधेयक बीमा कवरेज का विस्तार करेगा, अधिक नागरिकों को सुरक्षा के दायरे में लाएगा और बीमाकर्ताओं, एजेंटों व मध्यस्थों की भागीदारी बढ़ाकर क्षेत्र की तेज़ वृद्धि सुनिश्चित करेगा, साथ ही पॉलिसीधारकों को मजबूत संरक्षण देगा।