कम से कम आठ अक्षर, उनमें से एक कैपिटल, एक स्पेशल कैरेक्टर, एक नंबर, अगर हो सके तो एक हाइरोग्लिफ, एक हाइकू... इतना सब कुछ करने के बाद भी दिखाएगा कि आपका पासवर्ड कमजोर है! किस कंक्रीट में इसे गाड़ना होगा... कई बार समझ में नहीं आता। उसके ऊपर 50 अकाउंट मेंटेन करने के लिए 50 पासवर्ड याद रखने का कठिन काम तो है ही।
लगता है कि अच्छा रहने का पासवर्ड जैसी कोई चीज नहीं होती। पासवर्ड हमेशा ही चिंता का विषय है... कई बार पैनिक का भी! नया पासवर्ड सेट करना जितना चिंता का विषय है, उतना ही पासवर्ड में थोड़ी सी गलती का मतलब है पैनिक की शुरुआत। तब आप अपने ही अकाउंट के लिए दुश्मन बन जाते हैं। कितने तरह के परीक्षण - फोन नंबर चेक, घर का पता, पालतू जानवर का नाम। ऐसे कई लोगों के बारे में सुना है जिन्होंने पासवर्ड भूल जाने के कारण पुराने फेसबुक अकाउंट, ई-मेल अकाउंट को चुपचाप छोड़ दिया है।
आश्चर्य की बात यह है कि पासवर्ड आधुनिक समस्या बिल्कुल नहीं है। यह बहुत पुरानी है। मान लीजिए लगभग दो हजार साल पुरानी। अब यह आम जनता में भी फैल गई है जबकि दो हजार साल पहले पासवर्ड कुछ चुनिंदा लोगों के लिए था।
ईसा पूर्व पहली शताब्दी में रोमन साम्राज्य में पासवर्ड का प्रचलन हुआ था। कैसे? मान लीजिए, कोई शहर दीवारों से घिरा हुआ है। हर रात एक उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारी एक कोडवर्ड, जो आमतौर पर लैटिन का कोई शब्द होता था, अपने अधीनस्थ को बताते थे। उनसे यह कोडवर्ड रैंक के हिसाब से एक-एक करके नीचे कुछ साधारण सैनिकों तक भी तक पहुंच जाता था। उनके बीच, जो उस शहर की रक्षा की जिम्मेदारी से जुड़े थे। वह कोडवर्ड नहीं बता पाने पर शहर में प्रवेश नहीं मिलता था। दुश्मन के अवैध प्रवेश को रोकने का यह एक मजबूत उपाय था। खुशकिस्मती से लैटिन कोडवर्ड के साथ एक कैपिटल लेटर या ग्लैडिएटर इमोजी नहीं जोड़ना पड़ता था।
रोमनों से पहले स्पार्टन्स के बीच भी कथित तौर पर कोडवर्ड का प्रचलन था। लेकिन थोड़ा अलग तरीके से। एक सैनिक एक सवाल पूछता था और कहीं प्रवेश पाने के लिए उसका सही जवाब देना होता था। फिर प्राचीन मिस्र और बेबीलोन में धार्मिक क्षेत्रों में कोडवर्ड का प्रचलन हुआ। किसी मंदिर में प्रवेश करने के लिए विशेष कोडवर्ड नहीं बता पाने पर आप बहिष्कृत हो जाते थे। कम से कम उस मंदिर से। लेकिन रोमनों के पासवर्ड के उपयोग की घटना प्रमाणित ऐतिहासिक दस्तावेज में मिलती है।
अरेबियन नाइट्स की कहानी अली बाबा और चालीस चोर में भी हमने देखा है पासवर्ड का सफल उपयोग- खुल जा सिम सिम। यह कोडवर्ड बोलने पर डाकुओं की गुफा का पत्थर हट जाता था।
मध्ययुगीन यूरोप में व्यापक रूप से कोडवर्ड प्रचलित था। कोडवर्ड किले या युद्धक्षेत्र में दोस्त और दुश्मन के बीच अंतर समझने का साधन था। कई मामलों में यह कोडवर्ड बाइबल से प्रेरित होता था। अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध में जॉर्ज वाशिंगटन की सेना का कोडवर्ड था 'बोस्टन'। एक बार सोचिए, अगर कोई न्यूयॉर्क कह देता तो एक बार और कोशिश करने का मौका नहीं था, सीधे मार दिया जाता।
बाद के समय में मिलिट्री और जासूसी अभियानों में कोडवर्ड ने बड़ी भूमिका निभाई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान डी-डे अभियान में मित्र सेना का कोड था फ्लैश और थंडर। फ्लैश कहने पर जवाब में थंडर कहना होता था। बाद में थंडर कहने पर जवाब में वेलकम कहना होगा-ऐसा तय किया गया था। शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियार लॉन्च करने के लिए परमिसिव एक्शन लिंक या पीएएल था, जो वास्तव में एक सुरक्षित कोड सिस्टम था।
लेकिन ये सभी व्यवस्थाएं सिर्फ सैन्य, जासूसों के लिए थीं। आम लोगों को पर्सनल कंप्यूटर आने के बाद से ही पासवर्ड से परेशान होना पड़ा।1961 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक प्रोग्रामर फर्नांडो कोर्बाटो ने फाइल सुरक्षित रखने के लिए पहला पासवर्ड बनाया। कहा जाता है कि डिजिटल दुनिया में वह पहला पासवर्ड था। उसके बाद से किसी भी डिजिटल क्षेत्र में धीरे-धीरे पासवर्ड का उपयोग बढ़ा है और हमारे दिमाग को बार-बार परीक्षा से गुजरना पड़ता है। सोच रहा हूं, मेरा अगला पासवर्ड कोर्बाटो के नाम पर ही रखूंगा।
लेकिन पासवर्ड भूल जाने पर? तब तो फिर पासवर्ड बहाल करने के लिए सवाल आएगा, तुम्हारे बचपन के क्रश के पालतू गोल्डफिश का नाम क्या था?