शमशेरगंज में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या के मामले में मंगलवार को जंगीपुर महकुमा अदालत ने 13 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई लेकिन इस फैसले से हरगोविंद और चंदन दास के परिवार के सदस्य खुश नहीं हैं। उन्होंने अपराधियों को फांसी देने की मांग की है। राज्य विधानसभा के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें निचली अदालत के फैसले को चुनौती देकर उच्च न्यायालय में जाने में पूरी मदद का आश्वासन दिया।
इस दिन उन्होंने हरगोविंद की पत्नी पारुल दास की मौजूदगी में पत्रकार वार्ता की। वहां उन्होंने कहा, 'हम निचली अदालत के फैसले से खुश नहीं हैं। पूरे देश ने दोषियों को फांसी की मांग की थी। पारुल दास की अनुमति लेकर बता रहे हैं कि वे इस फैसले को चुनौती देकर उच्च न्यायालय में जाएंगे। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन्हें कानूनी सहायता हम प्रदान करेंगे।'
उस दिन उन्होंने पुलिस के खिलाफ भी गुस्सा ज़ाहिर किया। शुभेंदु ने कहा, 'परिवार के सदस्यों ने तीन लोगों की पहचान की थी। उन तीन लोगों के साथ जमीन को लेकर विवाद की वजह से पहले से ही समस्या चल रही थी। उन तीनों की मदद दूसरों ने की थी। पुलिस ने सभी को एक लाइन में रख दिया।'
उल्लेखनीय है कि उम्रकैद की सजा पाए 13 दोषी हैं--दिलदार नवाब (28), अस्माउल नवाब उर्फ कालू (27), इन्जामुल हक उर्फ बबलू (27), झियाउल हक (45), फेकारुल शेख (25), आज़फारुल शेख उर्फ बिलाई (24), मनीरुल शेख उर्फ मनी (39), इकबाल शेख (28), नूरुल इस्लाम (23), शबा करीम (25), हज़रत शेख (36), अकबर अली (30), यूसुफ शेख (49)।
संशोधित वक्फ़ कानून को लेकर इस साल अप्रैल में मुर्शिदाबाद हिंसा की चपेट में आ गया था। उसी समय, 12 अप्रैल को ज़ाफराबाद के निवासी हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास को चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। पहले स्थानीय थाने के हाथ में जांच का दायित्व था, लेकिन बाद में यह विशेष जांच दल (सीआईडी) के हाथ में चला गया, जिसका नेतृत्व आईपीएस सैयद वाकर राजा कर रहे थे।