तिरुवनंतपुरम: थाने में एक गर्भवती महिला के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप एक पुलिसकर्मी पर लगा था। आरोप है कि महिला को धक्का दिया गया और थप्पड़ भी मारा गया। केरल के कोचि में यह घटना एक साल से भी अधिक समय पहले हुई थी। एक राष्ट्रीय समाचार माध्यम के हवाले से खबर है कि इस घटना के एक साल बाद आखिरकार अभियुक्त पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया है।
एर्नाकुलम नॉर्थ थाने का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें इस उत्पीड़न की घटना देखी जा सकती है। सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि यह घटना पिछले साल 20 जून को हुई थी। फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसके बाद काफी हंगामा मचा। मामला तब सबके सामने आया जब केरल हाईकोर्ट ने उस फुटेज को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।
क्या हुआ था?
समाचार माध्यमों के अनुसार उस महिला के पति को गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद उन्हें पांच दिनों की हिरासत में लिया गया था। आरोप है कि महिला के पति ने सड़क पर आम नागरिकों के साथ हो रही कथित बदसलूकी का वीडियो बनाया था। इसी कारण पुलिस उन्हें थाने ले आई। अपने पति के बारे में जानकारी लेने के लिए ही वह महिला थाने पहुंची थीं। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि स्टेशन हाउस ऑफिसर प्रताप चंद्रन केजी से महिला सवाल कर रही थीं। कुछ ही देर बाद उस अधिकारी को महिला को धक्का देते हुए देखा गया और फिर थप्पड़ मारते हुए भी देखा गया। एक महिला पुलिसकर्मी को भी थप्पड़ मारते हुए देखा गया। बाद में अन्य पुलिसकर्मियों ने हस्तक्षेप कर आरोपी को काबू में किया।
समाचार माध्यम को पीड़ित महिला और उनके पति ने बताया कि जब तक आरोपी की नौकरी नहीं जाती, वे कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। एक राष्ट्रीय समाचार माध्यम में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित महिला ने कहा कि मैंने पुलिस से कहा था कि वे मेरे पति को पीटना बंद करें। मैंने किसी पर हाथ नहीं उठाया। मैं अपने दो बच्चों के साथ पुलिस के पास गई थी।
पुलिस का पलटवार
अभियुक्त पुलिस अधिकारी का दावा है कि महिला थाने में घुसकर हंगामा कर रही थीं। यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक महिला पुलिस अधिकारी पर हमला किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपनी सफाई में अधिकारी ने कहा कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया बल्कि परिस्थितिवश धक्का लग गया। महिला ने एर्नाकुलम के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास एक याचिका दायर कर पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। साथ ही अभियुक्त पुलिसकर्मी को पूरी तरह सेवा से बर्खास्त करने की भी मांग की गई है। इस याचिका पर अगले महीने सुनवाई हो सकती है।