नयी दिल्लीः ऑस्ट्रेलिया दौरे में जिन प्रयोगों किए गए थे, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टी-20 मैच में टीम मैनेजमेंट ने साफ संदेश दे दिया कि अब प्रयोग नहीं, बल्कि तय रणनीति पर आगे बढ़ना है। संजू को छोड़कर जितेश शर्मा को चुनना यही संकेत देता है।
संजू vs जितेश: स्थान के लिए असली मुकाबला
गिल की वापसी के बाद सैमसन का टॉप ऑर्डर में स्थान खत्म हो गया। टीम को ऐसे खिलाड़ी की ज़रूरत है जो अंत तक बल्लेबाज़ी कर मैच खत्म कर सके, और इस भूमिका में जितेश शर्मा खुद को साबित कर चुके हैं। इस समय विकेटकीपर की जगह के लिए मुकाबला सिर्फ संजू बनाम जितेश तक सीमित है। दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ यदि जितेश अपना फॉर्म कायम रखते हैं, तो विश्वकप की अंतिम एकादश में उनका चयन लगभग तय माना जा रहा है। पूर्व भारतीय विकेटकीपर दीप दासगुप्ता ने भी इस फैसले का समर्थन किया। उनका कहना है कि यदि संजू टॉप-3 में फिट नहीं बैठते, तो मिडल ऑर्डर में एक विशेषज्ञ फिनिशर ही बेहतर विकल्प है। कम गेंदों में रन बनाना आसान नहीं होता है और जितेश इसमें माहिर हैं।
अर्शदीप बनाम कुलदीप: एक साथ खिलाना क्यों मुश्किल?
कटक के मैच ने एक और समीकरण साफ किया कि अगर भारत को बल्लेबाज़ी गहराई 8 नंबर तक चाहिए, तो अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव दोनों को एक साथ खिलाना चुनौतीपूर्ण होगा। अर्शदीप भारत के शीर्ष टी-20 विकेट लेने वालों में शामिल, वहीं डेथ ओवरों में अनमोल। कुलदीप जो कि ओस पड़ने पर भी विकेट लेने की क्षमता के साथ वनडे और टी-20 दोनों में बेहतरीन फॉर्म में हैं।दीप दासगुप्ता ने कहा कि अर्शदीप जिस लय में है, उसे खिलाना ही होगा। आदर्श स्थिति में दोनों को शामिल करना चाहिए, पर व्यवहार में यह हमेशा संभव नहीं।
टीम स्थिरता की ओर बढ़ रही है, लेकिन चिंताएँ भी हैं। भारत स्पष्ट रणनीति के साथ विश्वकप की ओर बढ़ रहा है, पर कुछ मुद्दे अभी भी चिंता बढ़ा रहे हैं: कप्तान सूर्यकुमार यादव लंबे समय से रन नहीं बना पा रहे। सह-कप्तान शुभमन गिल भी टी-20 में खराब फॉर्म में हैं। दासगुप्ता ने कहा कि इसे चिंता कहना सही नहीं होगा, लेकिन जब रन नहीं आते, बल्लेबाज़ खुलकर नहीं खेल पाते। कप्तानी संभालने के बाद से हम सूर्या का सर्वश्रेष्ठ नहीं देख पाए हैं।