शिमला (हिमाचल प्रदेश): शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (IGMC) में एक मरीज के साथ अस्पताल वार्ड के अंदर मारपीट करते हुए डॉक्टर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद संबंधित डॉक्टर को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया है। त्वरित कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन ने एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है।
एएनआई से बात करते हुए मरीज के रिश्तेदार नरेश दश्टा ने आरोप लगाया कि यह घटना उनके रिश्तेदार अर्जुन पवार से जुड़ी है, जो चौपाल के कुपी क्षेत्र के चेता गांव के निवासी हैं। दश्टा ने बताया कि अर्जुन पवार एंडोस्कोपी कराने IGMC आए थे और वह आईपीडी मरीज थे। डॉक्टर ने उन्हें एंडोस्कोपी की तारीख दी। प्रक्रिया के बाद बताया गया कि उन्हें सीने से जुड़ी समस्या है और उन्हें पल्मोनरी विभाग में दो घंटे आराम करने की सलाह दी गई। जब वह वहां जाकर खाली बिस्तर पर लेटे तो अस्पताल कर्मचारी उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगा रहे थे। पल्मोनरी विभाग में राघव नामक एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर और एक अन्य डॉक्टर ने मरीज के साथ बदसलूकी की। उन्होंने अर्जुन पवार से अभद्र भाषा में बात की। वह एक शिक्षक हैं और कभी किसी से बदतमीजी नहीं की। जब उन्होंने डॉक्टर को बताया कि उन्हें वहां आराम के लिए भेजा गया है तब भी डॉक्टर का दुर्व्यवहार जारी रहा। जब अर्जुन पवार ने उनसे शालीनता से बात करने का अनुरोध किया तो डॉक्टर ने आपत्तिजनक तरीके से जवाब दिया।
वायरल वीडियो का हवाला देते हुए दश्टा ने कहा, “वीडियो में साफ दिख रहा है कि ऑक्सीजन पर पड़े, बिस्तर से न उठ पाने वाले मरीज को पीटा गया। एक अन्य डॉक्टर ने उसके पैर पकड़ रखे थे और मरीज जिस्म से खून बहने लगा। यह हत्या के प्रयास से कम नहीं है। हम मांग करते हैं कि डॉक्टर के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जाए।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि उसी डॉक्टर के खिलाफ पहले भी मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायतें की जा चुकी हैं।
इस बीच, IGMC शिमला के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राहुल राव ने एएनआई को बताया कि यह घटना पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में उस समय हुई, जब एक मरीज ब्रोंकोस्कोपी कराने आया था और प्रक्रिया के बाद उसे दो घंटे आराम करने की सलाह दी गई थी। वह वार्ड में गया। अस्पताल प्रोटोकॉल के अनुसार केवल इनडोर मरीजों को ही वार्ड में अनुमति होती है। इसी दौरान सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर और मरीज के बीच बहस हुई और कुछ धक्का-मुक्की भी हुई।”
उन्होंने बताया कि सरकार ने इस मामले का संज्ञान लिया और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर हमने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सरकारी निर्देशों के अनुसार डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है और उसका मुख्यालय चिकित्सा शिक्षा निदेशालय तय किया गया है, जहां उसे रिपोर्ट करने को कहा गया है। मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति भी गठित की गई है।