नई दिल्लीः2017 के उन्नाव नाबालिग दुष्कर्म मामले में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत मिलने पर कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस फैसले को “निराशाजनक और शर्मनाक” बताते हुए कहा कि ऐसे फैसले न्याय व्यवस्था में जनता के भरोसे को कमजोर करते हैं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि क्या एक दुष्कर्म पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार उचित है, जबकि अभियुक्त को राहत दी जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत केवल “डेड इकॉनमी” ही नहीं, बल्कि ऐसी अमानवीय घटनाओं से “डेड सोसाइटी” की ओर बढ़ता दिख रहा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि न्याय की मांग करना अगर अपराध बन जाए और पीड़िता भय के साये में जीने को मजबूर हो तो यह संस्थागत और नैतिक विफलता का संकेत है।
क्या है पूरा मामला?: 2017 के उन्नाव नाबालिग दुष्कर्म मामले में दिल्ली की सीबीआई अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ उनकी अपील दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
जमानत क्यों मिली?: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर ने अपील लंबित रहने तक सजा निलंबित कर दी। अदालत ने 15 लाख रुपये के जमानती मुचलके पर जमानत दी। हालांकि, पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को अभी जमानत नहीं मिली है। उस प्रकरण में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई थी, इसलिए वे फिलहाल हिरासत में ही रहेंगे।
अदालत की सख्त शर्तेंः हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सेंगर दिल्ली में ही रहेंगे व पीड़िता के निवास स्थान के पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएंगे और पीड़िता या उसके परिवार से कोई संपर्क नहीं करेंगे।
सेंगर पक्ष की दलील: सेंगर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन और अधिवक्ता एस.पी.एम. त्रिपाठी ने तर्क दिया कि सेंगर सार्वजनिक सेवक नहीं हैं और पीड़िता की उम्र को लेकर अलग-अलग दस्तावेजों में भिन्नता है, इसलिए चिकित्सकीय रिपोर्ट को आधार बनाया जाना चाहिए।
पीड़िता की दलीलः पीड़िता की ओर से अधिवक्ता महमूद प्राचा ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता की जान को खतरा है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पहले दी गई सुरक्षा बाद में हटा ली गई थी और पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में पिटाई के बाद मौत हो गई थी, जिस मामले में सेंगर को 10 साल की सजा मिली।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाः समाजवादी पार्टी के नेता आरके वर्मा ने इसे संवेदनशील मामला बताते हुए अदालत के आदेश पर टिप्पणी से इनकार किया और पीड़िता के परिवार के प्रति सहानुभूति जताई। पीड़िता की मां ने जमानत के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि सुरक्षा के नाम पर उनकी बेटियों को उनसे अलग किया गया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द किए जाने की मांग की।