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'मेसी कांड' की जांच में हाई कोर्ट ने दखल देने से किया इनकार, कहा - पुलिस ही करेगी जांच

हाई कोर्ट ने कहा कि अब तक पुलिस की जांच में कमी होने का कोई सबूत नहीं है। इसलिए हाई कोर्ट ने जांच CBI को सौंपने के आवेदन को खारिज कर दिया।

By Amit Chakraborty, Posted By : Moumita Bhattacharya

Dec 23, 2025 10:35 IST

कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने सॉल्टलेक स्टेडियम में लियोनेल मेसी (Lionel Messi) के कार्यक्रम में हुई अफरा-तफरी की पुलिस जांच में दखल नहीं दिया। सोमवार की रात को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि 13 दिसंबर की घटना की प्राथमिक जांच पुलिस को करनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि अब तक पुलिस की जांच में कमी होने का कोई सबूत नहीं है। इसलिए हाई कोर्ट ने जांच CBI को सौंपने के आवेदन को खारिज कर दिया। इस मामले में सभी पक्षों से हलफनामा तलब किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी।

विधाननगर महकमा अदालत ने युवा भारती में तोड़फोड़ के मामले में गिरफ्तार नौ लोगों को जमानत दे दी है। गिरफ्तार लोगों के वकीलों सौम्यजीत राहा और कौशिक दास ने कहा कि पुलिस साफ-साफ यह नहीं बता पाई कि गिरफ्तार लोग सीधे तौर पर इस घटना में कैसे शामिल थे। वे सोमवार को अचानक जेल गए और पूछताछ के लिए आवेदन किया। पूछताछ पहले भी हो सकती थी। असल में यह जमानत रोकने की एक चाल है।

वहीं सरकारी वकील साबिर अली ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि गिरफ्तार लोगों से पूछताछ करने की जरूरत है। गिरफ्तार लोगों से कुछ लोगों के नाम मिले हैं। अगर इन 9 लोगों को जमानत मिल जाती है तो दूसरों को पकड़ना मुश्किल होगा। हालांकि कोर्ट ने यह दलील स्वीकार नहीं की। जांच अधिकारियों का दावा है कि मेसी को न देख पाने के बावजूद किसी ने भी आयोजक के खिलाफ धोखाधड़ी की कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। बल्कि सोशल मीडिया पर सवाल उठाए गए कि पुलिस को सुताद्रु के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज करना चाहिए था।

मेसी के GOAT इंडिया टूर के मुख्य आयोजक सुताद्रु दत्ता के वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि जब दर्शक मेसी को नहीं देख पाए उसके बाद जो अफरा-तफरी मची उसमें आयोजक का कोई हाथ नहीं था। पुलिस पूरी घटना को नियंत्रित कर रही थी। आरोप था कि सत्ताधारी पार्टी के प्रभावशाली नेताओं की मिलीभगत की वजह से मेसी को कोलकाता लाने के नाम पर वित्तीय गड़बड़ियां हुई थीं। एक ओर तत्कालीन क्रीड़ा मंत्री अरूप विश्वास पर मैदान में मेसी को घेरे रखने का आरोप है और दूसरी तरफ गैर-कानूनी तरीके से लोगों को मैदान में लाने के आरोप लगाया गया।

इस मामले में यह भी आरोप है कि दमकल मंत्री सुजीत बसु ने अपनी मर्जी से सरकारी जमीन पर मेसी की 70 फीट ऊंची मूर्ति लगवाई है। यह सुनकर न्यायाधीश ने पूछा कि अगर यह सरकारी जमीन है तो यह निजी कैसे हो सकती है? आरोप था कि शुरुआत में 150 पास दिए गए थे लेकिन बाद में एक प्रभावशाली मंत्री के दबाव में यह संख्या तीन गुना कर दी गई। अनगिनत लोग मैदान में घुस गए, मेसी और दूसरे खिलाड़ियों को असुरक्षा का सामना करना पड़ा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को युवा भारती जाते समय कानून-व्यवस्था बिगड़ने का पता चला। मुख्यमंत्री ने एक रिटायर्ड जज के नेतृत्व में जो कमेटी बनाई उसके भी गैर-कानूनी होने का दावा किया गया। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि ऐसी कमेटी का गठन करने के लिए विधानसभा से अनुमति लेनी पड़ती है।

इस मामले में राज्य सरकार की दलील है कि पुलिस ने पहले ही सख्त दिशानिर्देश दिए थे। आयोजकों ने कोई खास सूची या योजना जमा नहीं की थी। मेसी की सुरक्षा केंद्रीय वाहिनी के हाथों में थी। आरोप लगाया गया कि कई मामलों में राज्य पुलिस को अंधेरे में रखा गया था।

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