दिल्ली में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के रिंकू हुड्डा ने स्वर्ण पदक जीता। जैवलिन स्टार रिंकू (26) ने पुरुषों के F46 वर्ग में 66.37 मीटर दूर जैवलिन (भाला) फेंककर स्वर्ण पदक जीता। इसके साथ ही उन्होंने 10 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2015 में चीन के गुओ सी ने इस वर्ग में जैवलिन 61.89 मीटर दूर फेंका था। रिंकू ने जितनी दूर जैवलिन फेंका, वह अंतर काफी ज्यादा है। जिस वर्ग में रिंकू ने स्वर्ण जीता, उसी वर्ग में सुंदर सिंह गुर्जर ने रजत जीता।
लेकिन दूसरे खिलाड़ियों से ज्यादा चर्चा रिंकू हुड्डा की हो रही हैं। उनका स्वर्ण पदक जीतना ही नहीं बल्कि उनके संघर्ष की भी खूब चर्चाएं हो रही हैं। 23 साल पहले रिंकू एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। तीन साल की उम्र में रिंकू अपने गांव में धान की थ्रेशिंग मशीन के पास सो रहे थे। नींद में वह धान की थ्रेशिंग मशीन में लगे ब्लेड के पास गिर गए। उनका शरीर ब्लेड के बीच नहीं आया लेकिन बायां हाथ ब्लेड के नीचे आकर कोहनी के नीचे से कट गया था।
मात्र तीन साल की उम्र में अपना बायां हाथ खोने के बावजूद रिंकू टूटे नहीं। अपनी बाकी ताकत का इस्तेमाल करके लड़ाई शुरू की। बड़े होने पर रिंकू ने अपने शरीर का संतुलन ठीक करने का काम शुरू किया। इसके बाद अपनी गति पर काम किया। धीरे-धीरे उन्होंने खुद को पैरा जैवलिन थ्रोअर के रूप में तैयार किया। रिंकू के कोच धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने रिंकू की ताकत और पेट की मजबूती पर काम किया है। इसके परिणामस्वरूप रिंकू पैरों पर जोर देकर जैवलिन दूर तक फेंक सकते हैं।
2013 में रिंकू ने अपनी जैवलिन थ्रोइंग की यात्रा शुरू की। पहले स्कूल स्तर की दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। 2015 में उन्होंने पहली बार जैवलिन में 50 मीटर का आंकड़ा छुआ, इसके बाद रियो पैरालिंपिक में मौका मिला। वहां उन्होंने 54.39 मीटर दूर जैवलिन फेंककर पांचवां स्थान हासिल किया।
2017 में उन्होंने 55 मीटर दूर जैवलिन फेंका। इसके बाद 65.69 मीटर दूर जैवलिन फेंककर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। अब उन्होंने विश्व मंच पर रिकॉर्ड बनाया।