भारत ने घरेलू इस्पात उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने वियतनाम से आयातित अलॉय और नॉन-अलॉय स्टील पर पांच वर्षों के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया है।
यह निर्णय उस समय आया है जब भारतीय स्टील उद्योग लगातार शिकायत कर रहा था कि विदेशी बाजारों से सस्ते दाम पर स्टील आने से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।
यदि शुल्क न लगाया जाता, तो नुकसान और बढ़ता—सरकार की अधिसूचना
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यदि वियतनाम से आने वाले सस्ते स्टील पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो घरेलू स्टील उद्योग को होने वाला नुकसान “और अधिक गहरा” हो सकता था। हालांकि, इस फैसले में वियतनाम की होया फाट डांग कोयाट स्टील जेएससीके नामक कंपनी को एंटी-डंपिंग ड्यूटी से छूट दी गई है।
बाकी सभी वियतनामी उत्पादकों और निर्यातकों को भारत में स्टील भेजते समय: प्रति मीट्रिक टन 121.55 अमेरिकी डॉलर का एंटी-डंपिंग शुल्क देना होगा। यह नियम वियतनाम में कार्यरत उन विदेशी कंपनियों पर भी लागू होगा, जो वहां स्टील का निर्माण करती हैं। 25mm मोटाई और 2100mm चौड़ाई तक के स्टील उत्पादों पर लागू।
यह एंटी-डंपिंग शुल्क लागू होगा
25 मिलीमीटर तक की मोटाई वाले स्टील पर।
2100 मिलीमीटर तक की चौड़ाई वाले अलॉय और नॉन-अलॉय स्टील पर।
हालांकि, सरकार ने स्टेनलेस स्टील को इस शुल्क के दायरे से बाहर रखा है, जिससे इस पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।
देशी स्टील उद्योग की शिकायतों के बाद कार्रवाई
पिछले कुछ महीनों में भारत के कई स्टील उत्पादकों ने इस बात पर चिंता जताई थी कि विदेशी, खासकर वियतनाम से भारी मात्रा में सस्ते स्टील के आयात के कारण उनका उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
देशी स्टील उद्योग ने औपचारिक शिकायत दर्ज की। सरकार से जांच की मांग उठाई। इन शिकायतों और जांच की अनुशंसाओं के बाद यह निर्णय लिया गया है।
दोनों देश WTO सदस्य, फिर भी भारत ने लिया सुरक्षात्मक कदम
हालांकि भारत और वियतनाम दोनों ही WTO (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन) के सदस्य हैं और वियतनाम आसियान (ASEAN) समूह से भी जुड़ा हुआ है—फिर भी घरेलू उद्योग को संरक्षण देने के लिए भारत ने यह कदम उठाया है।
दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध होने के बावजूद, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि घरेलू उद्योग के हित सर्वोपरि हैं।