🔔 ताज़ा ख़बरें सबसे पहले!

Samachar EiSamay की ब्रेकिंग न्यूज़, राजनीति, खेल, मनोरंजन और बिज़नेस अपडेट अब सीधे आपके पास।

बंगाल की खाड़ी के संगम पर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मानव समागम है गंगासागर, क्या है सामाजिक और ज्योतिष महत्व ?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि धर्म हमारी भूमि की संस्कृति से बड़ी गहराई से जुड़ा हुआ है एवं मकर संक्रांति को आयोजित गंगासागर इन धार्मिक मान्यताओं से अछूता नहीं रहा है। गंगासागर एक तीर्थस्थल से कहीं बढ़कर है, यह आस्था के साथ भावनाओं का अन्तर्मिलन है, यह जीवन के परम आनंद का संगम है।

By लखन भारती

Dec 30, 2025 18:01 IST

भारत के कई हिस्सों में, यह फसल की कटाई का समय है तो कुछ हिस्सों में इस ऋतु में फसलों की बोआई की जाती है। तभी तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि लोग सूर्य देव के सम्मुख सम्मान के साथ श्रद्धा अर्पित करते हैं जो जिन्होंने मानव को एक आदर्श जलवायु का उपहार प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, वे धरती, फसल एवं पशुओं के प्रति भी अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।

इस अवसर पर भारत के विभिन्न परिवारों में विविध ताज़ा सामग्रियों जैसे कि तिल और गुड़ से मीठे व्यंजन बनाये जाते हैं। आनंद का यह माहौल केवल खाने पीने की चीज़ों तक ही सीमित नहीं है, पतंगों को उड़ाने की एक महत्वपूर्ण परंपरा चली आ रही है। मूल रूप से यह उत्तर-भारत की एक प्रचलित प्रथा है जो अब भारत के कई हिस्सों में लोकप्रिय होने के साथ फैल चुकी है। दिल्ली में, 14 जनवरी हर साल पतंग उड़ाने के दिवस के रूप में मनाया जाता है।अतएव, हम कह सकते हैं कि यह हमारी भूमि के सामाजिक ताने-बानो से गहराई से जुड़ा हुआ है, इसकी संस्कृति का एक अपरिहार्य अमूल्य हिस्सा है जो हमें एक साथ एक बंधन में जोड़कर रखता है।

ज्योतिषीय महत्व

गंगासागर मेला मकर संक्रांति की शुभ अवधि के दौरान मनाया जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संक्रांति सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में आगमन का सूचक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मकर संक्रांति उस समय शुरू होती है जब सूर्य देव (सूर्य देवता) मकर राशि में प्रवेश करते हैं और वहाँ एक महीने तक रहते हैं। एक राशि से दूसरे राशि में सूर्य के इस परिवर्तन का एक मजबूत ज्योतिषीय महत्व है क्योंकि मकर शनि का घर है, और शनि (सूर्य देव के पुत्र) एवं सूर्य दोनों के बीच शत्रुता का संबंध है। परंतु मकर संक्रांति के दौरान सूर्य पुत्र के प्रति अपना क्रोध भूल जाते हैं और सौहार्द एवं सद्भावपूर्ण संबंध अभिव्यक्त करते हैं। इसलिए, यह एक शुभ अवधि का प्रतीक है जो रिश्तों के महत्व को उजागर करती है।

मकर संक्रांति लंबे समय तक चली सर्दी के अंत को दर्शाती है और फसलों के मौसम का स्वागत करती है। हिंदू संस्कृति के अनुसार, उम्मीदों का यह मौसम, नई शुरुआतों का यह मौसम बदलाव की ओर पवित्र कदम बढ़ाने का संकेत है। अशुभ काल (ठंड भरी सर्दी और लंबी रात) का अंत होता है और एक आदर्श मौसम का शुभारंभ होता है।

इस अवधि में मौसम में बेहतर बदलाव नजर आते हैं। यह मेला शीतकालीन संक्रांति के दौरान आयोजित होता है, जब दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। यह परिवर्तन ज्योतिष प्रथाओं और खगोलीय गतिविधियों के बीच एक अंतर्निहित घनिष्ठ संबंध को प्रस्तुत करता है। वैदिक काल से ही ज्ञान की यह प्राचीन प्रणाली भारतीय सभ्यता को अपने मार्गदर्शन से रौशन करती रही है और सबसे श्रद्धाजनक एवं प्रेरणादायी तथ्य यह है कि यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

Prev Article
परिवहन और संचार साधनों से अब सुगम हो गया है गंगासागर तीर्थ
Next Article
गंगासागर में कोविड-19 से शुरु हुई ई-दर्शन की शुरुआत

Articles you may like: